Tuesday, 31 October 2017
Tuesday, 24 October 2017
Saturday, 14 October 2017
Tuesday, 10 October 2017
Monday, 9 October 2017
भ्रष्ट अधिकारियों को भाजपाइयों का संरक्षण
भ्रष्ट अधिकारियों को भाजपाइयों का संरक्षण
इन दिनों सोशल मीडिया पर मध्यप्रदेश सरकार के संस्कृति संचालनाय के पूर्व संचालक श्रीराम तिवारी को लेकर एक लम्बी बहस छिड़ी हुई है बात जहां तक श्रीराम तिवारी की करें तो श्रीराम तिवारी जब नौकरी में थे तब भी वह चर्चाओं में थे उस समय जो चर्चायें होती थीं वह उनके द्वारा प्रदेश में अपने संस्कृति संचालनालय द्वारा करवाये जा रहे जश्नों के खर्चोँ को लेकर हुआ करती थीं, लेकिन आज जब वह सेवानिवृत्त हो गये तब भी उनका चर्चाओं में छाया रहना इस बात को साबित करता है कि कुछ तो है जो तिवारी को लेकर इन दिनों चर्चायें गर्म हैं फिर चाहे उनके खिलाफ 100 करोड़ रुपये की अनुपातहीन सम्पत्ति का मामला हो, हालांकि इस मुद्दे को लेकर तरह-तरह के आरोप सोशल मीडिया पर छाये हुये हैं जब बात श्रीराम तिवारी की होती है तो उसी के साथ ही शिवराज सरकार के एक और अफसर डीएन शर्मा का भी नाम आ ही जाता है। क्योंकि यह दोनों ही अधिकारी अपनी सेवानिवृत्ति के बाद मीडिया को अपना कारोबार चुना, बात जहां तक श्रीराम तिवारी की है तो श्रीराम तिवारी पर 100 करोड़ से अधिक अनुपातहीन सम्पत्ति की शिकायत प्रधानमंत्री से लेकर लोकायुक्त मध्यप्रदेश तक की गई और उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत जांच की कार्यवाही की मांग तक की गई, हालांकि श्रीराम तिवारी की इस तरह की शिकायतें करने के मामले में पूर्व विधायक एवं बहुजन समाज पार्टी के नेता किशोर समरीते ने उनकी यह शिकायत प्रधानमंत्री से करते हुए तिवारी की अवैध व अनुपातहीन सम्पत्ति की जांच सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय से कराने की मांग की है जबकि भोपाल के वकील यावर खान ने शपथ पत्र देकर प्रदेश के उप लोकायुक्त से की गई शिकायत में तिवारी की अधिकांश सम्पत्ति के सबूत अपनी शिकायत में साक्ष्य के रूप में पेश किये। इन सभी शिकायतों की जांच कब होगी यह भविष्य बताएगा लेकिन यह जरूर है कि श्रीराम तिवारी के इन दिनों चर्चा में रहने के साथ ही तरह-तरह की चर्चाएं लोग चटकारे लेकर दिखाई दे रहे हैं, लोगों का कहना है कि यह वही श्रीराम तिवारी हैं जो चाहे दिग्विजय सिंह की सरकार हो या मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की सरकार दोनों ही सरकारों के नाक के बाल रहे हैं, तो वहीं शिवराज की सरकार में तो श्रीराम तिवारी ने जिस तरह के जश्नों का आयोजन किया जिसमें भाजपा सांसद हेमा मालिनी से लेकर तमाम नृत्यांगनाओं के नृत्य कराकर जनता से लेकर सत्ताधीशों तक को मंत्रमुग्ध कर दिया। लेकिन इन सब जश्नों के साथ-साथ क्या-क्या खेल हुए यह भी चर्चाओं में हैं तो लोग तत्कालीन संस्कृति विभाग के मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा के योगदान को भी स्मरण करते नजर आ रहे हैं, लक्ष्मीकांत शर्मा के साथ क्या हुआ यह तो सभी जानते हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि अपनी शासकीय सेवा में रहते हुए श्रीराम तिवारी ने करोड़ों रुपये का गोलमाल कैसे किया यह शोध और जांच का विषय है, लेकिन फिर भी इन सब घोटालों के चलते श्रीराम तिवारी सत्ताधीशों से लेकर अपने प्रशासनिक आकाओं की नजरों में हमेशा बने रहे, यह कला भी श्रीराम तिवारी में है और इसी कला का खेल खेलते हुए उन्होंने अपने हर प्रमुख सचिव को अपने शीशे में ढालकर रख दिया अब यदि उनके कार्यकाल के दौरान हुए घोटालों की बात की जा रही है तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को इन घोटालों की जांच करा लेना चाहिए इसके साथ ही श्रीराम तिवारी के कार्यकाल के दौरान उनके जो-जो प्रमुख सचिव रहे और उन्होंने हर वर्ष उनकी बेहतर सीआर भी लिखते चले गये, इसके पीछे भी तो कोई कारण होगा, जब जांच हो तो उन प्रमुख सचिवों के द्वारा श्रीराम तिवारी के द्वारा लिखी गई बेहतर सीआर को भी जांच में शामिल किया जाए, ऐसी चर्चाएं इन दिनों राजनैतिक क्षेत्र में जारी हैं, खैर मामला जो भी हो लेकिन इस सरकार में जहां एक ओर जश्न का दौर खूब चला तो वहीं किसानों के लिये तमाम लुभावने आयोजनों का भी कार्यक्रम खूब बढ़चढ़कर इस सरकार के द्वारा कराये गये और उन सब कार्यक्रमों में पानी की तरह करोड़ों रुपये खर्च किये गये लेकिन उसका लाभ न तो किसानों को मिला, हाँ यह जरूर है कि जश्न देखकर प्रदेश की जनता बाकी सभी मुद्दों को भूलती रही और इसी का फायदा उठाकर श्रीराम तिवारी ने अपने विभाग प्रमुखों और अपने मंत्रियों के चहेते बन यह सब खेल खेला गया। यह श्रीराम तिवारी की अपनी कलाबाजी है जो उन्होंने संस्कृति विभाग में रहकर यह सब खेल खेला। खैर, मामला जो भी हो लेकिन फिलहाल तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को श्रीराम तिवारी के खिलाफ की गई इन शिकायतों की एक किसी निष्पक्ष एजेंसी से जांच करा लेनी ही चाहिए ऐसा लोगों का मानना है तभी तिवारी पर लगे आरोपों की हकीकतों का खुलासा हो सकेगा और श्रीराम तिवारी के साथ-साथ और कौन-कौन इसमें शामिल थे और इतने सब भ्रष्टाचार होने के बावजूद भी श्रीराम तिवारी की बेहतर सीआर कैसे लिखी जाती रही इसका भी खुलासा हो सकेगा? फिलहाल तो श्रीराम तिवारी को लेकर जिस तरह की चर्चाएं इन दिनों वाटसएप पर चल रही हैं उन चर्चाओं पर विराम तभी लग पाएगा जब मुख्यमंत्री आगे बढ़कर श्रीराम तिवारी के खिलाफ जांच कराने के आदेश दें, क्योंकि मुख्यमंत्री का इससे कुछ लेना देना नहीं, चाहे श्रीराम तिवारी हों या एनडी शर्मा इन दोनों ने जो कमाल सेवा में रहते किया या नहीं किया यह तो जांच के बाद ही पता चल सकेगा और लोगों की शिकायतों में कितनी दम है इसका भी खुलासा जांच के उपरांत ही हो पाएगा कि कौन सही है और कौन गलत है?daily india: जवा एवं त्यौथर मे बाढ से भारी तबाही, सरकार तत्काल ...: जवा एवं त्यौथर मे बाढ से भारी तबाही, सरकार तत्काल दे मुवावजा: रमाशेकर मिश्रा रीवा । पांच दिनो से लगातार हो रही बारिस और बकिया बराज के गेट ख...
इन दिनों सोशल मीडिया पर मध्यप्रदेश सरकार के संस्कृति संचालनाय के पूर्व संचालक श्रीराम तिवारी को लेकर एक लम्बी बहस छिड़ी हुई है बात जहां तक श्रीराम तिवारी की करें तो श्रीराम तिवारी जब नौकरी में थे तब भी वह चर्चाओं में थे उस समय जो चर्चायें होती थीं वह उनके द्वारा प्रदेश में अपने संस्कृति संचालनालय द्वारा करवाये जा रहे जश्नों के खर्चोँ को लेकर हुआ करती थीं, लेकिन आज जब वह सेवानिवृत्त हो गये तब भी उनका चर्चाओं में छाया रहना इस बात को साबित करता है कि कुछ तो है जो तिवारी को लेकर इन दिनों चर्चायें गर्म हैं फिर चाहे उनके खिलाफ 100 करोड़ रुपये की अनुपातहीन सम्पत्ति का मामला हो, हालांकि इस मुद्दे को लेकर तरह-तरह के आरोप सोशल मीडिया पर छाये हुये हैं जब बात श्रीराम तिवारी की होती है तो उसी के साथ ही शिवराज सरकार के एक और अफसर डीएन शर्मा का भी नाम आ ही जाता है। क्योंकि यह दोनों ही अधिकारी अपनी सेवानिवृत्ति के बाद मीडिया को अपना कारोबार चुना, बात जहां तक श्रीराम तिवारी की है तो श्रीराम तिवारी पर 100 करोड़ से अधिक अनुपातहीन सम्पत्ति की शिकायत प्रधानमंत्री से लेकर लोकायुक्त मध्यप्रदेश तक की गई और उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत जांच की कार्यवाही की मांग तक की गई, हालांकि श्रीराम तिवारी की इस तरह की शिकायतें करने के मामले में पूर्व विधायक एवं बहुजन समाज पार्टी के नेता किशोर समरीते ने उनकी यह शिकायत प्रधानमंत्री से करते हुए तिवारी की अवैध व अनुपातहीन सम्पत्ति की जांच सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय से कराने की मांग की है जबकि भोपाल के वकील यावर खान ने शपथ पत्र देकर प्रदेश के उप लोकायुक्त से की गई शिकायत में तिवारी की अधिकांश सम्पत्ति के सबूत अपनी शिकायत में साक्ष्य के रूप में पेश किये। इन सभी शिकायतों की जांच कब होगी यह भविष्य बताएगा लेकिन यह जरूर है कि श्रीराम तिवारी के इन दिनों चर्चा में रहने के साथ ही तरह-तरह की चर्चाएं लोग चटकारे लेकर दिखाई दे रहे हैं, लोगों का कहना है कि यह वही श्रीराम तिवारी हैं जो चाहे दिग्विजय सिंह की सरकार हो या मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की सरकार दोनों ही सरकारों के नाक के बाल रहे हैं, तो वहीं शिवराज की सरकार में तो श्रीराम तिवारी ने जिस तरह के जश्नों का आयोजन किया जिसमें भाजपा सांसद हेमा मालिनी से लेकर तमाम नृत्यांगनाओं के नृत्य कराकर जनता से लेकर सत्ताधीशों तक को मंत्रमुग्ध कर दिया। लेकिन इन सब जश्नों के साथ-साथ क्या-क्या खेल हुए यह भी चर्चाओं में हैं तो लोग तत्कालीन संस्कृति विभाग के मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा के योगदान को भी स्मरण करते नजर आ रहे हैं, लक्ष्मीकांत शर्मा के साथ क्या हुआ यह तो सभी जानते हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि अपनी शासकीय सेवा में रहते हुए श्रीराम तिवारी ने करोड़ों रुपये का गोलमाल कैसे किया यह शोध और जांच का विषय है, लेकिन फिर भी इन सब घोटालों के चलते श्रीराम तिवारी सत्ताधीशों से लेकर अपने प्रशासनिक आकाओं की नजरों में हमेशा बने रहे, यह कला भी श्रीराम तिवारी में है और इसी कला का खेल खेलते हुए उन्होंने अपने हर प्रमुख सचिव को अपने शीशे में ढालकर रख दिया अब यदि उनके कार्यकाल के दौरान हुए घोटालों की बात की जा रही है तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को इन घोटालों की जांच करा लेना चाहिए इसके साथ ही श्रीराम तिवारी के कार्यकाल के दौरान उनके जो-जो प्रमुख सचिव रहे और उन्होंने हर वर्ष उनकी बेहतर सीआर भी लिखते चले गये, इसके पीछे भी तो कोई कारण होगा, जब जांच हो तो उन प्रमुख सचिवों के द्वारा श्रीराम तिवारी के द्वारा लिखी गई बेहतर सीआर को भी जांच में शामिल किया जाए, ऐसी चर्चाएं इन दिनों राजनैतिक क्षेत्र में जारी हैं, खैर मामला जो भी हो लेकिन इस सरकार में जहां एक ओर जश्न का दौर खूब चला तो वहीं किसानों के लिये तमाम लुभावने आयोजनों का भी कार्यक्रम खूब बढ़चढ़कर इस सरकार के द्वारा कराये गये और उन सब कार्यक्रमों में पानी की तरह करोड़ों रुपये खर्च किये गये लेकिन उसका लाभ न तो किसानों को मिला, हाँ यह जरूर है कि जश्न देखकर प्रदेश की जनता बाकी सभी मुद्दों को भूलती रही और इसी का फायदा उठाकर श्रीराम तिवारी ने अपने विभाग प्रमुखों और अपने मंत्रियों के चहेते बन यह सब खेल खेला गया। यह श्रीराम तिवारी की अपनी कलाबाजी है जो उन्होंने संस्कृति विभाग में रहकर यह सब खेल खेला। खैर, मामला जो भी हो लेकिन फिलहाल तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को श्रीराम तिवारी के खिलाफ की गई इन शिकायतों की एक किसी निष्पक्ष एजेंसी से जांच करा लेनी ही चाहिए ऐसा लोगों का मानना है तभी तिवारी पर लगे आरोपों की हकीकतों का खुलासा हो सकेगा और श्रीराम तिवारी के साथ-साथ और कौन-कौन इसमें शामिल थे और इतने सब भ्रष्टाचार होने के बावजूद भी श्रीराम तिवारी की बेहतर सीआर कैसे लिखी जाती रही इसका भी खुलासा हो सकेगा? फिलहाल तो श्रीराम तिवारी को लेकर जिस तरह की चर्चाएं इन दिनों वाटसएप पर चल रही हैं उन चर्चाओं पर विराम तभी लग पाएगा जब मुख्यमंत्री आगे बढ़कर श्रीराम तिवारी के खिलाफ जांच कराने के आदेश दें, क्योंकि मुख्यमंत्री का इससे कुछ लेना देना नहीं, चाहे श्रीराम तिवारी हों या एनडी शर्मा इन दोनों ने जो कमाल सेवा में रहते किया या नहीं किया यह तो जांच के बाद ही पता चल सकेगा और लोगों की शिकायतों में कितनी दम है इसका भी खुलासा जांच के उपरांत ही हो पाएगा कि कौन सही है और कौन गलत है?daily india: जवा एवं त्यौथर मे बाढ से भारी तबाही, सरकार तत्काल ...: जवा एवं त्यौथर मे बाढ से भारी तबाही, सरकार तत्काल दे मुवावजा: रमाशेकर मिश्रा रीवा । पांच दिनो से लगातार हो रही बारिस और बकिया बराज के गेट ख...
Sunday, 8 October 2017
प्रदेश कांग्रेस के नये प्रभारी महासचिव दीपक बावरिया भोपाल मे आज
सुरा प्रेमियों को मिल रही भरपूर शराब
मध्यप्रदेश के द्वारा किये गये कामों का ढिंढोरा
15 हजार के कर्ज मे डूबा हर इन्सान
15 हजार के कर्ज मे डूबा हर इन्सान
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सत्ता पर काबिज होने के साथ ही जो उनकी धर्मपत्नी श्रीमती साधना सिंह द्वारा अपनी पहचान छुपाकर डम्पर खरीदने का जो खेल खेलकर जो संदेश इस प्रदेश की जनता को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पूत के पांव पालने में दिखाने का जो काम किया था। उनके इस संदेश बाद से भ्रष्टाचार की जो गंगोत्री जो इस प्रदेश में ऊपर से लेकर नीचे तक बही उसके चलते फर्जी आंकड़ों के सहारे विकास तो खूब हुआ और इस विकास के लिये तत्कालीन यूपीए सरकार और वर्तमान मोदी सरकार के शासनकाल के दौरान करोड़ों रुपये प्रदेश की येाजनाओं के लिये राशि आई लेकिन उसके बाद भी यह प्रदेश डेढ़ लाख करोड़ रुपये का कर्जदार बन गया और स्थिति यह है कि प्रदेश का हर नागरिक आज 15 हजार रुपये व्यक्तिगत कर्जदार बन गया। लेकिन इसके बाजवूद भी प्रदेश की सत्ता के मुखिया शिवराज सिंह चौहान इस प्रदेश में सबका विकास सबके साथ करने का ढिंढोरा पीटते रहे। शिवराज सरकार में विकास कितना हुआ इसकी पोल नीति आयोग की हाल ही में आई रिपोर्ट से इस बात का खुलासा हो गया और उसमें यह साफ हो गया कि कृषि के अलावा किसी भी सेक्टर में काम धरातल पर नहीं बल्कि कागजों में हुआ है, लेकिन जिन किसानों के कृषि सेक्टर में काम होने की बात नीति आयोग की रिपोर्ट में की गई है वह भी कहां हुए, यदि वह काम हुए होते तो शायद किसानों में इतना आक्रोश नहीं होता कुल मिलाकर राज्य में विकास के नाम पर भ्रष्टाचार की गंगोत्री इस तरह से बही कि उससे जनता को तो कोई लाभ नहीं हुआ बल्कि भाजपा के नेताओं, जनप्रतिनिधियों और मुख्यमंत्री के चहेते अधिकारियों की जरूर स्थिति सुधरी है, शायद यही वजह है कि आज भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा दिये गये अबकी बार 200 पार के टारगेट को पूरा करने में स्वयं शिवराज को मेहनत मशक्कत करनी पड़ रही है यदि सबकुछ ठीकठाक होता तो जितनी हाय तौबा इन दिनों सत्ता और संगठन के सुधार को लेकर मची हुई है, उतनी चिंता शायद मुख्यमंत्री के चहेते अधिकारियों को लेकर किसी को दिखाई नहीं दे रही है, इन्हीं भ्रष्ट अधिकारियों के चलते राज्य की राजनीतिक स्थिति गड़बड़ाई है कहने को जरूर 13 वर्षों से मुख्यमंत्री पद पर शिवराज सिंह अब सरकारी विज्ञापनों और सरकारी आयोजनों में अपने मनमोहक छवि वाले बैनर पोस्टरों और विज्ञापनों को देखकर अपने लोकप्रिय होने का दंभ पाले रहे, लेकिन स्थिति यह है कि उनकी लोकप्रियता आज जमीनी स्तर पर दिखाई नहीं दे रही है और संघ के द्वार कराये गये इस सर्वे से इस बात का खुलासा हुआ कि यदि शिवराज सिंह के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा तो भारतीय जनता पार्टी को चौथी बार सरकार बनाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि एक तरफ व्यापं के कारण प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की छवि को नुकसान हुआ और अब किसान आंदोलन से निपटने में नाकामयाब हुए शिवराज सिंह की लोकप्रियता का ग्राफ तेजी से नीचे गिर रहा है, इसी बात को लेकर संघ चिंता में है और वह यह मान रहा है कि अगर कांग्रेस के बड़े नेता प्रदेश में एकजुट होकर चुनावी समर में उतरते हैं तो लगातार चौथी बार भाजपा की जीत मुश्किल होगी ऐसे में संघ में दो पहलुओं पर विचार करना शुरू कर दिया है कि या तो भाजपा का चेहरा बदल दिया जाए या फिर बिना किसी चेहरे के चुनाव लड़ा जाये? हाल ही में प्रदेश के राजनैतिक गलियारों में इन दिनों एक सर्वे को लेकर जोर-शोर से चर्चा हो रही है। इस सर्वे में मप्र में सत्ता पर काबिज भाजपा और सीएम शिवराज सिंह की नींद उड़ा दी है। ये कथित सर्वे किसी एजेंसी या समाचार पत्र या टीवी चैनल का नहीं है। बल्कि इस सर्वे के बारे में कहा जा रहा है कि ये सर्वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने कराया है। इस आंतरिक सर्वे ने जहां चौथी बार मप्र की सत्ता पर काबिज होने का सपना देख रही भाजपा को परेशानी में डाल दिया है, तो संगठन को सूझ नहीं रहा है कि आखिर कैसे वो हालात अपने पक्ष में लाएं। इस सर्वे के बारे में कहा जा रहा है कि संघ के इस आंतरिक सर्वे में कहा गया है कि अगर आज की स्थिति में चु नाव करा लिए जाएं तो भाजपा की सरकार गिर सकती है। आज की स्थिति में चु नाव कराए जाएं तो सरकार बनती नहीं दिख रही - दरअसल, जिस सर्वे की चर्चा इन दिनों राजधानी के सियासी हलकों में सुनने को मिल रही है। बताया जा रहा है कि संघ इस सर्वे के बारे में कहा रजा है कि संघ ने मौज्ूदा हालात के आधार पर किए सर्वे में पाया कि 2013 के तमाम के तमाम प्रत्याशियों को अगर आज की स्थिति में चुन ाव कराया जाए तो भाजपा की सरकार बनती नहीं दिखाई नहीं दे रही है। सर्वे में वर्तमान भाजपा विधायक हारते हुए दिखाई दे रहे हैं। संघ के सर्वे के हिसाब से भाजपा को अगले चुनाव में 100 से कम सीटें हासिल होती दिखाई दे रही हैं। जबकि मप्र में सरकार बनाने के लिए 230 में से 116 सीटों की जरूरत होती है। खास बात ये है कि जिन विधायकोकं की हार की रिपोर्ट सर्वे में आ रही है, उसमें शिवराज के कद्दावर मंत्री और वरिष्ठ विधायक शामिल हैं। फौरी तौर पर भाजपा ने इन हालातों से पार पाने के लिए जहां संगठन में कार्यकर्ताओं को महत्व देने की रणनीति बनाई है। तो दूसरी तरफ सरकारी नुकान की चिंता किए बिना सरकारी खजाना चुनाव जीतने के लिए लुटाने की रणनीति तैयार की जा रही है। संगठन ने सरकारी मशीनरी की मदद से जमानत को भाजपा के पक्ष में लाने पर भी रणनीति तैयार करना शुरू कर दिया है। वहीं करीब 20 हजार कार्यकर्ताओं को मोटरसाइकिल और पचास हजार रुपये भी देने की तैयारी की जा रही है। इस कतिपय सर्वे से मप्र भाजपा के होश उड़े हैं क्योंकि पिछले दिनों तीन दिवसीय मप्र प्रयास पर आए अमित शाह अबकी बार 200 पार का लक्ष्य दिया है। लेकिन इस सर्वे में तो भाजपा 100 के पार होती नहीं दिखाई दे रही है। इस कथित सर्वे के साथ राजनैतिक हलकों में चर्चा है कि संघ को हिदायत के बाद सीएम शिवराज सिंह लगातार मप्र भाजपा संगठन के साथ गुचपुच बैठकें कर रहे हैं और हालात से निपटने की रणनीति पर विचार कर रहे हैं। सीएम शिवराज सिंह सहित प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार चौहान, प्रदेश महामंत्री सुहास भगत और शिवराज सिंह के विश्वास पात्र नेता रणनीतिक तैयारियों में जुट गए हैं। क्योंकि इन सभी नेताओं को अब शिवराज सिंह के शासनकाल के दौरान जिस तरह के भ्रष्टाचार की गंगोत्री अके चलते इस प्रदेश में विकास के नाम पर जो खेला गया उसे समेटने में काफी समय लगेगा। देखना अब यह है कि इन सभी नेताओं की रणनीति क्या शिवराज सिंह के नेतृत्व में चौथी बार सत्ता हासिल कर पाती है या नहीं हालांकि संघ से लेकर स्वयं शिवराज सिंह चौहान इस बात से भलीभांति परिचित हैं कि अब उनके चेहरे के नाम पर चुनावी समर में नहीं उतरा जा सकता है, तभी तो शिवराज सिंह कुछ न कुछ ऐसा करने में लगे हुए हैं। कुल मिलाकर प्रदेश में 1998 की तरह दिग्विजय सिंह के शासनकाल की परिस्थितियां शिवराज के सामने निर्मित होती नजर आ रही हैं?
15 दिन में महिला को बना दिया मां
15 दिन में महिला को बना दिया मां
मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के शासनकाल के दौरान सरकारी योजनाओं में किस तरह से फर्जीवाड़ा चल रहा है इस फर्जीवाड़ा के चलते राज्य के शहडोल जिले में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं संचालित की जा रही हैं लेकिन इनकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है। इन्हीं योजनाओं में से एक जननी सुरक्षा योजना है, जिसकी बंदरबांट किया गया। जिला चिकित्सालय में पैसों की लालच में अधिकारियों ने सारी मर्यादायें लांघ दी हैं। बीती 21 जुलाई को ग्राम पंचायत बकड़ी की एक महिला का गर्भपात कराया जाात है और ठीक उसके 15 दिन बाद वही महिला प्रसव के लिए जिला चिकित्सालय शहडोल में भर्ती होती है और यहां एक स्वस्थ्य बच्ची को जन्म देती है। दोनों ही मामले स्वास्थ्य विभाग के दस्तावेजों में दर्ज हैं, लेकिन चल रही इस मनमानी और घोटाले से विभागीय अधिकारियों को कोई लेना-देना नहीं है। ग्राम पंचायत बकहो में रहने वाली 24 वर्षीय महिला का बुढ़ार सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र अंतर्गत अमलाई स्थित उप स्वास्थ्य केन्द्र में गर्भवती महिला के रूप में नाम दर्ज किया गया। स्वास्थ्य केन्द्र के रजिस्टर में उक्त महिला का स्वयं की इच्छा पर बीती 21 जुलाई को गर्भपात होना भी दर्शाया गया। ठीक 15 दिन बाद वही महिला जिला चिकित्सालय शहडोल के डिलेवरी वार्ड में भर्ती होती हुई। जिला चिकित्सालय के रिकार्डों के अनुसार ओपीडी क्रमांक 102564/17 व ओपीडी क्रमांक 121261/17 में उक्त महिला का नाम दर्ज है। जहां डिलीवरी वार्ड में ही दाखिल स्वस्थ्य बच्ची को जन्म देती है और दस अगस्त की दोपहर 12 बजकर चार मिनट पर उसे डिस्चार्ज किया जाता है। शासन द्वारा संस्थागत प्रसव का लक्ष्य बढ़ाने के दबाव के बाद जिला चिकित्सालय सहित अन्य सामुदायिक व उप स्वास्थ्य केन्द्रों में इस तरह के मामले भारी संख्या में हो रहे हैं। जहां मनमाने ढंग से नाम दर्ज कर योजना के अंतर्गत मिलने वाली राशि और अन्य अनुदान व सामग्रियां हजम की जा रही हैं। यही नहीं, मातहतों द्वारा किये जा रहे इस घोटाले को जिला चिकित्सालय के आलाधिकारी भी लक्ष्य पाने के फेर में अपना संरक्षण दिये हुए हैं। जननी सुरक्षा योजना का लाभ लेने वाली महिलाओं की सूची की यदि पड़ताल की जाये तो करोड़ों का घोटाला सामने आ सकता है।
yograj india: yograj tiwari
मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के शासनकाल के दौरान सरकारी योजनाओं में किस तरह से फर्जीवाड़ा चल रहा है इस फर्जीवाड़ा के चलते राज्य के शहडोल जिले में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं संचालित की जा रही हैं लेकिन इनकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है। इन्हीं योजनाओं में से एक जननी सुरक्षा योजना है, जिसकी बंदरबांट किया गया। जिला चिकित्सालय में पैसों की लालच में अधिकारियों ने सारी मर्यादायें लांघ दी हैं। बीती 21 जुलाई को ग्राम पंचायत बकड़ी की एक महिला का गर्भपात कराया जाात है और ठीक उसके 15 दिन बाद वही महिला प्रसव के लिए जिला चिकित्सालय शहडोल में भर्ती होती है और यहां एक स्वस्थ्य बच्ची को जन्म देती है। दोनों ही मामले स्वास्थ्य विभाग के दस्तावेजों में दर्ज हैं, लेकिन चल रही इस मनमानी और घोटाले से विभागीय अधिकारियों को कोई लेना-देना नहीं है। ग्राम पंचायत बकहो में रहने वाली 24 वर्षीय महिला का बुढ़ार सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र अंतर्गत अमलाई स्थित उप स्वास्थ्य केन्द्र में गर्भवती महिला के रूप में नाम दर्ज किया गया। स्वास्थ्य केन्द्र के रजिस्टर में उक्त महिला का स्वयं की इच्छा पर बीती 21 जुलाई को गर्भपात होना भी दर्शाया गया। ठीक 15 दिन बाद वही महिला जिला चिकित्सालय शहडोल के डिलेवरी वार्ड में भर्ती होती हुई। जिला चिकित्सालय के रिकार्डों के अनुसार ओपीडी क्रमांक 102564/17 व ओपीडी क्रमांक 121261/17 में उक्त महिला का नाम दर्ज है। जहां डिलीवरी वार्ड में ही दाखिल स्वस्थ्य बच्ची को जन्म देती है और दस अगस्त की दोपहर 12 बजकर चार मिनट पर उसे डिस्चार्ज किया जाता है। शासन द्वारा संस्थागत प्रसव का लक्ष्य बढ़ाने के दबाव के बाद जिला चिकित्सालय सहित अन्य सामुदायिक व उप स्वास्थ्य केन्द्रों में इस तरह के मामले भारी संख्या में हो रहे हैं। जहां मनमाने ढंग से नाम दर्ज कर योजना के अंतर्गत मिलने वाली राशि और अन्य अनुदान व सामग्रियां हजम की जा रही हैं। यही नहीं, मातहतों द्वारा किये जा रहे इस घोटाले को जिला चिकित्सालय के आलाधिकारी भी लक्ष्य पाने के फेर में अपना संरक्षण दिये हुए हैं। जननी सुरक्षा योजना का लाभ लेने वाली महिलाओं की सूची की यदि पड़ताल की जाये तो करोड़ों का घोटाला सामने आ सकता है।
yograj india: yograj tiwari
Wednesday, 4 October 2017
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