Friday, 29 September 2017

मप्र. का किसान आक्रोशित घोटाले में लिप्त सरकार कीर्तिप्रभा रीवा। रीवा ही नहीं मध्यप्रदेश के सभी जिलों में किसान पूरी तरह सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मंदसोर की घटना के बाद किसानों को इस बात का एहसास हो चुका है कि यह सरकार हत्यारी हो चुकी है। व्यापम के घोटाले में सैकड़ों युवक की जान लेने के बाद शिवराज सिंह की सरकार ने जिस तरीके से मंदसौर के किसानों की छाती पर गोलियंा दागी और किसानों की मौत हुई। इससे सरकार की रीति-नीति और सत्ता के नशे में चूर होने का प्रमाण सामने आया है। गरीब किसानों की गोली मारकर हत्या कराये जाने को सरकार की नृसंसता खुल चुकी है। अलबत्ता रीवा जिले के अलावा सभी जिलों में किसान आंदोलन जहां एक तरफ सरकार के लिए चुनौती बनती जा रही है तो वहीं किसानों के आक्रोश के चलते प्रशासन को भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है जिससे प्रदेश की हालत दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है तथा कानून व्यवस्था भी बिगडऩे की संभावना बढ़ रही है। यह मध्यप्रदेश का दुर्भाग्य है कि एक किसान पुत्र के हाथों में प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार की कमान होने के बावजूद भी किसान पुत्र शिवराज सिंह द्वारा किसानों की खेती को लाभ का धंधा बनाने का ढिंढोरा तो पीटा गया, लेकिन किसानों को तो छोड़ो सरकारी आंकड़ों से भी यह सिद्ध नहीं हो पा रहा है कि किसानों की खेती शिवराज सरकार में लाभ का धंधा बन पाई। हाँ, यह जरूर है कि किसान पुत्र के मुख्यमंत्री होने के बावजूद भी किसानों ने सरकारी योजनाओं से परेशान होकर किसानों को मौत को गले लगाने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है, तो वहीं सरकार है जो यह दावा करती नजर आती है कि वह किसानों के दुखदर्द में हमेशा साथ खड़ी है लेकिन कहां खड़ी है और कौन इन किसानों की सुध लेता नजर आ रहा है यह जांच और शोध का विषय है। मध्यप्रदेश सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान के राज्य में किसानों को करोड़ों रुपये बीमा की राशि देने का ढिंढोरा पीटा जा रहा है लेकिन किसानों से जुड़े संगठन किसान जागृति संगठन द्वारा सरकारी आंकड़ों के अनुसार बीमा योजना के जो आंकड़ों का खुलासा किया गया है उससे तो यह कतई साबित नहीं होता कि यह सरकार किसानों की हितैषी है। संगठन प्रमुख इरफान जाफरी यह मानकर चलते हैं कि किसानों के नाम पर बीमा की करोड़ों रुपये की राशि कहाँ चली गई और किसके जेब में गई यह जाँच का विषय है? जाफरी के अनुसार भोपाल कमिश्नर के द्वारा भोपाल संभाग के भोपाल, रायसेन, विदिशा, राजगढ़ और सीहोर जिलों के किसानों की जो संख्या भोपाल के किसानों की संख्या आयुक्त द्वारा 34111 बताई गई थी और उन्हें 62.38 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का दावा किया गया था तो वहीं रायसेन जिले में 65514 किसानों की संख्या बताई गई थी तो वहीं इन किसानों को 181.88 करोड़ रुपये बीमा राशि दिये जाने की बात कही गई थी। तो वहीं विदिशा के 151789 किसानों की संख्या बताई गई थी और उन्हें 574.82 करोड़ रुपये का मुआवजा दिये जाने की जानकारी दी गई थी इसी प्रकार राजगढ़ जिले के 25928 किसानों की संख्या बताई गई थी और उन्हें 42.10 करोड़ रुपये मुआवजे की राशि दिये जाने की जानकारी दी गई थी, इसी प्रकार सीहोर जिले के 43866 किसानों को 87.97 करोड़ रुपये मुआवजे की राशि दिये जाने की जानकारी दी गई थी। जाफरी के अनुसार भोपाल कमिश्नर द्वारा भोपाल संभाग का योग 3.21 लाख से अधिक किसानों की संख्या बताई गई थी तो वहीं 939.75 करोड़ किसानों को मुआवजा दिये जाने का दावा किया गया था, लेकिन बीमा कम्पनी के अनुसार भोपाल संभाग की जो स्थिति बताई गई उसके अनुसार भोपाल जिले के जहां कमिश्नर के अनुसार किसानों की संख्या 34111 थी वहीं बीमा कम्पनी के अनुसार भोपाल जिले के किसानों की संख्या 69 रह गई, मजे की बात यह है कि इन 69 किसानों के नाम पर बीमा कम्पनी द्वारा 2259186.22 की राशि दिये जाने की बात कही गई तो वहीं रायसेन जिले के किसानों की संख्या बीमा कम्पनी के अनुसार 53790 बताई गई जबकि भोपाल कमिश्नर के अनुसार रायसेन जिले के किसानों की संख्या 65514 बताई गई थी और उन्हें बीमा की राशि 181.88 करोड़ दिये जाने की बात कही गई थी तो वहीं बीमा कम्पनी द्वारा रायसेन जिले के 53790 किसानों को 529090787.7 की राशि दिये जाने की बात की गई। इसी प्रकार बीमा कंपनी द्वारा किसानों की संख्या 142655 बताई गई और उन्हें 3902789064.27 की राशि का भुगतान किये जाने की बात कही गई। इसी विदिशा जिले के किसानों का आंकड़ा भोपाल कमिश्नर के अनुसार 151789 किसानों की संख्या बताई गई और उन्हें 574.82 करोड़ रुपये का भुगतान किये जाने की बात कही गई। ठीक इसी प्रकार से बीमा कम्पनी द्वारा राजगढ़ जिले के किसानों की संख्या 30594 बताई गई और इन किसानों को 468286533.9 की राशि का भुगतान किये जाने की जानकारी दी गई। वहीं सीहोर जिले के मामले में बीमा कम्पनी के अनुसार 43850 मुआवजे के लिए किसानों की संख्या बताई गई और उन्हें 555018659.2 की राशि का भुगतान होने की जानकारी दी गई भोपाल संभाग का योग 270958 से अधिक है तो वहीं बीमा कम्पनी के अनुसार 59574442.31 की मुआवजा राशि दिये जाने की बात कही गई इसी बीच बीमा कम्पनी के अनुसार गुम किसानों की संख्या 50250 किसान बताई गई और उनकी बीमा राशि का भुगतान न हुए जाने की जो जानकारी बीमा कम्पनी द्वारा दी गई उसके अनुसार 456.34 करोड़ की राशि का भुगतान न होने की जानकारी दी गई, कुल मिलाकर भोपाल जिले के 31042 किसानों को 60 करोड़, रायसेन जिले 11734 किसानों को 52 करोड़ 90 लाख सात हजार सात सौ सतासी रुपये और विदिशा जिले के 9134 किसानों को 184 करोड़ 55 लाख की राशि भोपाल संभाग और बीमा कम्पनी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार कहाँ गायब हो गये। इसको लेकर किसान परेशान हैं और वह बीमा कम्पनी और कमिश्नर भोपाल के द्वारा दी गई जानकारी के बाद जो राशि गुम हो गई उसकी खोज में लगे हुए हैं। इरफान जाफरी के अनुसार कमिश्नर भोपाल संभाग और बीमा कम्पनी द्वारा किसानों को बीमा राशि दिये जाने के संबंध में जो जानकारी उपलब्ध कराई गई और उन दोनों द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी में किसानों और बीमा कम्पनी द्वारा जो अंतर है उससे यह साफ जाहिर है कि किसानों के नाम पर सरकार बीमा कम्पनियों से राशि तो वसूल कर लेती है लेकिन उसका लाभ किसानों को सरकार पहुंचाने में धांधली करती है और इस तरह की धांधली जाफरी के अनुसार पूरे भोपाल संभाग में नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में जारी है?


















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