Sunday, 6 May 2018

जि़ले के खरीदी केंद्रों में अव्यवस्था

जि़ले के खरीदी केंद्रों में अव्यवस्था और बिना पर्याप्त तैयारी के चलते पिछली तूफानी बारिस गेहूं के लिए कहर बनकर आई. जहां खरीदी केंद्रों में खुले में रखे हुए सैकड़ों टन गेहूं की बर्बादी हो गई. जानकारों द्वारा बताया गया की इतनी अधिक मात्रा में पानी खाया हुआ गेहूं अब कीड़ों मकोड़ों का ही आहार बनेगा. क्योंकि गेहूं बोरियों में भरा था इसलिए हवा और धूप भी न लग पाने से पूरा गेहूं कुछ ही महीनों में कीड़ों का आहार बनकर सड़ जाएगा.
 लौरी-गढ़ खरीदी केंद्र में नही थी समुचित व्यवस्था
   जाकर देखा गया तो पाया गया की गगेव ब्लॉक के लौरी-गढ़ खरीदी केंद्र में कोई भी समुचित व्यवस्था नही थी. पूरा का पूरा गेहूं खुले आसमान के नीचे पड़ा हुआ था. उस रात हुई भीषण तूफानी बारिश ने पूरे गेहूं को बुरी तरह नुकसान पहुचाया जिसमे से आज भी आद्र्रता महसूस की जा सकती है.
  कोट, देवास खरीदी केंद्र में भी गेहूं भींगा
       गढ़ सहकारी बैंक से संबंध खरीदी केंद्रों कोट और देवास में भी गेहूं खुले में पड़ा था और कोई समुचित व्यवस्था न हो पाने के कारण तूफानी बारिश में भीगा जिससे काफी नुकसान हुआ. ज्ञातव्य है की कोट और देवास खरीदी केंद्रों का जिम्मा बांस समिति के प्रबंधक के हाँथ है.
खरीदी केंद्रों की सुरक्षा राशि हज़म
     ऐसा नही है की गेहूं और धान की सुरक्षा के लिए खरीदी केंद्रों में कोई व्यवस्था ही नही होती, बल्कि सच्चाई तो यह है की इन खरीदी केंद्रों को दी जाने वाली सरकारी राशि को हज़म कर लिया जाता है. सभी खरीदी केंद्रों में नियमानुसार किसानों को बैठने की व्यवस्था से लेकर पानी, बिजली सभी के लिए राशि आवंटित होती है लेकिन समिति प्रबंधकों एवं खरीदी केंद्रों का जिम्मा लिए हुए कर्मचारियों द्वारा हजम कर लिया जाता है. खरीदी केंद्रों में टेंट, पन्नी, और तिरपाल आदि की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए जिसके लिए सरकार पहले से ही राशि आवंटित करती है लेकिन सारी राशि को हजम कर लिया जाता है. जिसका नतीज़ा यह होता है की जहां खरीदी केंद्रों पर आने आले किसान पानी तक के लिए मोहताज़ रहते हैं वहीं किसी प्राकृतिक विपदा की स्थिति में इन केंद्रों में गेहूं धान को ढकने के लिए पन्नी तक नही होती है तिरपाल तो दूर की बात है जिसका नतीजा पूरा धान गेहूं बाहर बारिश और मौसम की मार सहते हुए नष्ट हो जाता है.
    इस बात को लेकर ऊपरी अधिकारियों द्वारा कार्यवाही किया जाना चाहिए और संबंधित दोषियों के खिलाफ कार्यवाही सुनिश्चित होनी चाहिए. गेहूं खरीद के पहले सभी तैयारियां पूर्ण की जानी चाहिए जिससे अन्नदाता के खून पसीने की कमाई नष्ट न हो पाए।

कागजी खानापूर्ति में सिमट गई पीएम सड़क योजना

 रीवा जिले के जवा विकास खन्ड सहित सभी ब्लाकों के अतर्गत प्रधौनमंत्रीयोजना से बनने वााली सडको मे बडे पैमाने पर सरकारी राशि क हेरीफेरी करने का मामला प्रकाश मे आया है।    जि़ले के मऊगंज पीएम परियोजना सेक्टर अन्तर्गत आने वाली गंगेव ब्लॉक की सभी पीएम सड़कें भ्रष्ट्राचार की भेंट चढ़ रही हैं. प्रधानमंत्री सड़क परियोजना के अधिकारियों और पीएम सड़क के ठेकेदारों की मिलीभगत से करोड़ों की परियोजना में चुना लगाया जा रहा है. यह बात आयके दिन निरंतर मीडिया में रहती है फिर भी पीएम सड़क के अधिकारियों की नीद नही खुल रही है.कीर्तिप्रभा, रीवा।
बता दें की बहुचर्चित कैथा से अगडाल प्रधानमंत्री सड़क का कार्य 24 जनवरी को पूर्ण होना था मगर अधिकारियों और ठेकेदार की मिलीभगत से इसमे लेटलतीफी की जा रही है. जबकि यह बात दर्जनों मर्तबा संबंधित पीएम सड़क के अधिकारियों के समक्ष रखी जा चुकी है.
जांच के नाम पर करते हैं कोरम पूर्ती
जब भी पीएम सड़क में मनमानी और घटिया गुणवत्ता की शिकायत संबंधित अधिकारियों के समक्ष की जाती है तो मात्र जांच के नाम पर कोरम पूर्ति की जाती है. यही सिलसिला पिछले कई महीनों से चल रहा है.
पुलो का हुआ घटिया निर्माण
कैथा से अगडाल प्रधानमंत्री सड़क मार्ग की पुलो का घटिया निर्माण किया गया है जिसकी शिकायत समय समय पर सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी द्वारा संबंधित पीएम सड़क के अधिकारियों के समक्ष की गई है लेकिन जांच के नाम पर मात्र कोरम पूर्ति ही हुई है और ठेकेदार से मिल बांटकर मामला रफा दफा करने का प्रयाश किया गया है.
 पिछले साल भर में मऊगंज के 3 जीएम बदले
 पिछले साल भर में मऊगंज पीएम सड़क परियोजना के 3 जीएम और ए एम बदले हैं लेकिन स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है. जो जीएम आता है वही पुरानी प्रक्रिया अपनाता है. ऐसा लगता है पहले से ही अब कुछ फिक्स्ड है.
वर्तमान जीएम नरवरिया देते हैं मात्र आश्वासन
वर्तमान समय में मऊगंज प्रधानमंत्री सड़क परियोजना में पदस्थ जनरल मैनेजर नरवरिया को गंगेव ब्लॉक अंतर्गत बनाई जा रही घटिया गुणवत्ता की सड़कों की जनकारी दी गई है और सही जांच कर ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट करने की माग की गई है लेकिन जीएम नरवरिया मात्र डेट देते हैं, जब भी उन्हें मौके पर जांच करने के लिए बुलाया जाता है तो उनका कहना होता है की कल आ रहा हूँ और आज महीने हर हो रहे हैं कभी भी भौतिक सत्यापन करने नही आये.
उपयंत्री अमित गुप्ता और टीएल करते हैं मात्र खानापूर्ति
मऊगंज पीएम सड़क के उपयंत्री अमित गुप्ता आउर टीम लीडर जांच के नाम पर अत्तर खानापूर्ति कर रहे हैं. ऐसा लगता है की याद दोनो अधिकारी मात्र तमाशा करने के लिए ग्राउंड पर आते हैं. पिछली लगभग आधा दजऱ्न से अधिक जांचों में अमित गुप्ता उर टीम लीडर आये मगर इनकी जांचों से कहीं कुछ हुआ ही नही. जो स्थिति बनी हुई थी वही अभी भी है. पुलो का घटिया निर्माण हुआ, लौरी नंबर 3 में सड़क उखड़ी, घटिया सामग्री का उपयोग हुआ यह सब कुछ यह अपनी आंखों से देखकर गए लेकिन कुछ नही किया. इससे साफ जाहिर है की इन अबकी ठेकेदारों से मिलीभगत है जिसका की परिणाम है घटिया किश्म की सड़क और समय पर न बन पाना.
अब तक इस विषय के कार्यवाही समझ नही आई है परंतु कार्य में कोई प्रगति समझ नही आ रही है जबकि सरकारें निरंतर घोषणाएं कर रही हैं की सभी अपूर्ण कार्य समयसीमा में पूरे किये जाएं. पर इन घोषणाओं का कहीं कुछ भी प्रभाव नही पड़ता दिख रहा. जि़ले के मऊगंज पीएम परियोजना सेक्टर अन्तर्गत आने वाली गंगेव ब्लॉक की सभी पीएम सड़कें भ्रष्ट्राचार की भेंट चढ़ रही हैं.कीर्तिप्रभा, रीवा।
बता दें की बहुचर्चित कैथा से अगडाल प्रधानमंत्री सड़क का कार्य 24 जनवरी को पूर्ण होना था मगर अधिकारियों और ठेकेदार की मिलीभगत से इसमे लेटलतीफी की जा रही है. जबकि यह बात दर्जनों मर्तबा संबंधित पीएम सड़क के अधिकारियों के समक्ष रखी जा चुकी है.
जांच के नाम पर करते हैं कोरम पूर्ती
जब भी पीएम सड़क में मनमानी और घटिया गुणवत्ता की शिकायत संबंधित अधिकारियों के समक्ष की जाती है तो मात्र जांच के नाम पर कोरम पूर्ति की जाती है. यही सिलसिला पिछले कई महीनों से चल रहा है.
पुलो का हुआ घटिया निर्माण
कैथा से अगडाल प्रधानमंत्री सड़क मार्ग की पुलो का घटिया निर्माण किया गया है जिसकी शिकायत समय समय पर सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी द्वारा संबंधित पीएम सड़क के अधिकारियों के समक्ष की गई है लेकिन जांच के नाम पर मात्र कोरम पूर्ति ही हुई है और ठेकेदार से मिल बांटकर मामला रफा दफा करने का प्रयाश किया गया है.
 पिछले साल भर में मऊगंज के 3 जीएम बदले
 पिछले साल भर में मऊगंज पीएम सड़क परियोजना के 3 जीएम और ए एम बदले हैं लेकिन स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है. जो जीएम आता है वही पुरानी प्रक्रिया अपनाता है. ऐसा लगता है पहले से ही अब कुछ फिक्स्ड है.
वर्तमान जीएम नरवरिया देते हैं मात्र आश्वासन
वर्तमान समय में मऊगंज प्रधानमंत्री सड़क परियोजना में पदस्थ जनरल मैनेजर नरवरिया को गंगेव ब्लॉक अंतर्गत बनाई जा रही घटिया गुणवत्ता की सड़कों की जनकारी दी गई है और सही जांच कर ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट करने की माग की गई है लेकिन जीएम नरवरिया मात्र डेट देते हैं, जब भी उन्हें मौके पर जांच करने के लिए बुलाया जाता है तो उनका कहना होता है की कल आ रहा हूँ और आज महीने हर हो रहे हैं कभी भी भौतिक सत्यापन करने नही आये.
उपयंत्री अमित गुप्ता और टीएल करते हैं मात्र खानापूर्ति
मऊगंज पीएम सड़क के उपयंत्री अमित गुप्ता आउर टीम लीडर जांच के नाम पर अत्तर खानापूर्ति कर रहे हैं. ऐसा लगता है की याद दोनो अधिकारी मात्र तमाशा करने के लिए ग्राउंड पर आते हैं. पिछली लगभग आधा दजऱ्न से अधिक जांचों में अमित गुप्ता उर टीम लीडर आये मगर इनकी जांचों से कहीं कुछ हुआ ही नही. जो स्थिति बनी हुई थी वही अभी भी है. पुलो का घटिया निर्माण हुआ, लौरी नंबर 3 में सड़क उखड़ी, घटिया सामग्री का उपयोग हुआ यह सब कुछ यह अपनी आंखों से देखकर गए लेकिन कुछ नही किया. इससे साफ जाहिर है की इन अबकी ठेकेदारों से मिलीभगत है जिसका की परिणाम है घटिया किश्म की सड़क और समय पर न बन पाना.
अब तक इस विषय के कार्यवाही समझ नही आई है परंतु कार्य में कोई प्रगति समझ नही आ रही है जबकि सरकारें निरंतर घोषणाएं कर रही हैं की सभी अपूर्ण कार्य समयसीमा में पूरे किये जाएं. पर इन घोषणाओं का कहीं कुछ भी प्रभाव नही पड़ता दिख रहा. जि़ले के मऊगंज पीएम परियोजना सेक्टर अन्तर्गत आने वाली गंगेव ब्लॉक की सभी पीएम सड़कें भ्रष्ट्राचार की भेंट चढ़ रही हैं.