जि़ले के खरीदी केंद्रों में अव्यवस्था और बिना पर्याप्त तैयारी के चलते पिछली तूफानी बारिस गेहूं के लिए कहर बनकर आई. जहां खरीदी केंद्रों में खुले में रखे हुए सैकड़ों टन गेहूं की बर्बादी हो गई. जानकारों द्वारा बताया गया की इतनी अधिक मात्रा में पानी खाया हुआ गेहूं अब कीड़ों मकोड़ों का ही आहार बनेगा. क्योंकि गेहूं बोरियों में भरा था इसलिए हवा और धूप भी न लग पाने से पूरा गेहूं कुछ ही महीनों में कीड़ों का आहार बनकर सड़ जाएगा.
लौरी-गढ़ खरीदी केंद्र में नही थी समुचित व्यवस्था
जाकर देखा गया तो पाया गया की गगेव ब्लॉक के लौरी-गढ़ खरीदी केंद्र में कोई भी समुचित व्यवस्था नही थी. पूरा का पूरा गेहूं खुले आसमान के नीचे पड़ा हुआ था. उस रात हुई भीषण तूफानी बारिश ने पूरे गेहूं को बुरी तरह नुकसान पहुचाया जिसमे से आज भी आद्र्रता महसूस की जा सकती है.
कोट, देवास खरीदी केंद्र में भी गेहूं भींगा
गढ़ सहकारी बैंक से संबंध खरीदी केंद्रों कोट और देवास में भी गेहूं खुले में पड़ा था और कोई समुचित व्यवस्था न हो पाने के कारण तूफानी बारिश में भीगा जिससे काफी नुकसान हुआ. ज्ञातव्य है की कोट और देवास खरीदी केंद्रों का जिम्मा बांस समिति के प्रबंधक के हाँथ है.
खरीदी केंद्रों की सुरक्षा राशि हज़म
ऐसा नही है की गेहूं और धान की सुरक्षा के लिए खरीदी केंद्रों में कोई व्यवस्था ही नही होती, बल्कि सच्चाई तो यह है की इन खरीदी केंद्रों को दी जाने वाली सरकारी राशि को हज़म कर लिया जाता है. सभी खरीदी केंद्रों में नियमानुसार किसानों को बैठने की व्यवस्था से लेकर पानी, बिजली सभी के लिए राशि आवंटित होती है लेकिन समिति प्रबंधकों एवं खरीदी केंद्रों का जिम्मा लिए हुए कर्मचारियों द्वारा हजम कर लिया जाता है. खरीदी केंद्रों में टेंट, पन्नी, और तिरपाल आदि की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए जिसके लिए सरकार पहले से ही राशि आवंटित करती है लेकिन सारी राशि को हजम कर लिया जाता है. जिसका नतीज़ा यह होता है की जहां खरीदी केंद्रों पर आने आले किसान पानी तक के लिए मोहताज़ रहते हैं वहीं किसी प्राकृतिक विपदा की स्थिति में इन केंद्रों में गेहूं धान को ढकने के लिए पन्नी तक नही होती है तिरपाल तो दूर की बात है जिसका नतीजा पूरा धान गेहूं बाहर बारिश और मौसम की मार सहते हुए नष्ट हो जाता है.
इस बात को लेकर ऊपरी अधिकारियों द्वारा कार्यवाही किया जाना चाहिए और संबंधित दोषियों के खिलाफ कार्यवाही सुनिश्चित होनी चाहिए. गेहूं खरीद के पहले सभी तैयारियां पूर्ण की जानी चाहिए जिससे अन्नदाता के खून पसीने की कमाई नष्ट न हो पाए।
लौरी-गढ़ खरीदी केंद्र में नही थी समुचित व्यवस्था
जाकर देखा गया तो पाया गया की गगेव ब्लॉक के लौरी-गढ़ खरीदी केंद्र में कोई भी समुचित व्यवस्था नही थी. पूरा का पूरा गेहूं खुले आसमान के नीचे पड़ा हुआ था. उस रात हुई भीषण तूफानी बारिश ने पूरे गेहूं को बुरी तरह नुकसान पहुचाया जिसमे से आज भी आद्र्रता महसूस की जा सकती है.
कोट, देवास खरीदी केंद्र में भी गेहूं भींगा
गढ़ सहकारी बैंक से संबंध खरीदी केंद्रों कोट और देवास में भी गेहूं खुले में पड़ा था और कोई समुचित व्यवस्था न हो पाने के कारण तूफानी बारिश में भीगा जिससे काफी नुकसान हुआ. ज्ञातव्य है की कोट और देवास खरीदी केंद्रों का जिम्मा बांस समिति के प्रबंधक के हाँथ है.
खरीदी केंद्रों की सुरक्षा राशि हज़म
ऐसा नही है की गेहूं और धान की सुरक्षा के लिए खरीदी केंद्रों में कोई व्यवस्था ही नही होती, बल्कि सच्चाई तो यह है की इन खरीदी केंद्रों को दी जाने वाली सरकारी राशि को हज़म कर लिया जाता है. सभी खरीदी केंद्रों में नियमानुसार किसानों को बैठने की व्यवस्था से लेकर पानी, बिजली सभी के लिए राशि आवंटित होती है लेकिन समिति प्रबंधकों एवं खरीदी केंद्रों का जिम्मा लिए हुए कर्मचारियों द्वारा हजम कर लिया जाता है. खरीदी केंद्रों में टेंट, पन्नी, और तिरपाल आदि की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए जिसके लिए सरकार पहले से ही राशि आवंटित करती है लेकिन सारी राशि को हजम कर लिया जाता है. जिसका नतीज़ा यह होता है की जहां खरीदी केंद्रों पर आने आले किसान पानी तक के लिए मोहताज़ रहते हैं वहीं किसी प्राकृतिक विपदा की स्थिति में इन केंद्रों में गेहूं धान को ढकने के लिए पन्नी तक नही होती है तिरपाल तो दूर की बात है जिसका नतीजा पूरा धान गेहूं बाहर बारिश और मौसम की मार सहते हुए नष्ट हो जाता है.
इस बात को लेकर ऊपरी अधिकारियों द्वारा कार्यवाही किया जाना चाहिए और संबंधित दोषियों के खिलाफ कार्यवाही सुनिश्चित होनी चाहिए. गेहूं खरीद के पहले सभी तैयारियां पूर्ण की जानी चाहिए जिससे अन्नदाता के खून पसीने की कमाई नष्ट न हो पाए।